एकाध लाख चिट्ठाकार हो जाएं फिर व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा हो तो समझ में भी आयेगा. अभी तो एक दूसरे की बांह पकड़े आगे बढ़ना होगा. एग्रीगेटर चलानेवाले भाईयों की इस समझ को सलाम.
एक समय था जब सब ने मिल कर काम किया. इन दिनो यह छवि खंडित हुई है, नए आये लोग नए एग्रीगेटो को आपसी सरफोटावल का परिणाम मानते है. ये दुखद क्षण है. मगर जो सहयोग अब दिखाई दे रहा है, वह काफी राहत दे रहा है. हमें और भी अदाहरण प्रस्तुत करने है. फिलहाल नारद व दुसरे सभी एग्रीगेटर संचालकों को बधाई देता हूँ.
5 comments:
एकाध लाख चिट्ठाकार हो जाएं फिर व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा हो तो समझ में भी आयेगा. अभी तो एक दूसरे की बांह पकड़े आगे बढ़ना होगा.
एग्रीगेटर चलानेवाले भाईयों की इस समझ को सलाम.
और हां, आपके नये झकास सफेद ले-आऊट के लिए धन्यवाद,
एक समय था जब सब ने मिल कर काम किया. इन दिनो यह छवि खंडित हुई है, नए आये लोग नए एग्रीगेटो को आपसी सरफोटावल का परिणाम मानते है. ये दुखद क्षण है. मगर जो सहयोग अब दिखाई दे रहा है, वह काफी राहत दे रहा है. हमें और भी अदाहरण प्रस्तुत करने है. फिलहाल नारद व दुसरे सभी एग्रीगेटर संचालकों को बधाई देता हूँ.
यह एक बहुत अच्छी बात है. हरेक अग्रीगेटर अलग अलग सुविधायें देता है, अत: उन सब का एक साथ काम करना हिन्दीजगत के लिये बहुत अच्छा है.
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
एक साधुवादी पहल, बधाई.
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