तस्वीरें कुछ कहती हैं, सुनने वाला चाहिए
विपुल जी, बाड़ को बाढ़ कर दीजिये, शीर्षक देखकर तो मै कुछ और ही सोचने लगा था :)
शुक्रिया
वाह प्रकृति स अब जगहों को समान दृष्टि से देखती है
ग्लोबल वार्मिग है या कुछ और ? -- शास्त्री जे सी फिलिपहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
सब जगह एक ही हाल है.
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5 comments:
विपुल जी, बाड़ को बाढ़ कर दीजिये, शीर्षक देखकर तो मै कुछ और ही सोचने लगा था :)
शुक्रिया
वाह प्रकृति स अब जगहों को समान दृष्टि से देखती है
ग्लोबल वार्मिग है या कुछ और ?
-- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
सब जगह एक ही हाल है.
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