Wednesday, 5 September 2007

यह राह नहीं आसान मेरे दोस्तों


यह राह नहीं आसान मेरे दोस्तों, हर नदी जो मैदानों मे सरपट भागती है, उसे पत्थरों के मैदान से पहले गुज़रना होता है।

2 comments:

Shastri JC Philip said...

चित्र देख कर एक दम देहरादून की याद आ गई. हां मेरा बचपन भी एक नदी के किनारे बीता था -- शास्त्री

मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!

Anonymous said...

फोटो अच्छी है और नीचे लिखे शब्द भी बहुत ही अच्छे हैं.

शुक्रिया!