Saturday 21 July, 2007

एग्रीगेटरों की चौपाल और भाईचारा




दोस्तों २० जुलाई को नारद ने और २१ जुलाई को चिट्ठाजगत ने अपने बंधू एग्रीगेटरों की कड़ियाँ छाप दी हैं। यह तस्वीर कुछ कहती हैं।

5 comments:

Sanjay Tiwari said...

एकाध लाख चिट्ठाकार हो जाएं फिर व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा हो तो समझ में भी आयेगा. अभी तो एक दूसरे की बांह पकड़े आगे बढ़ना होगा.
एग्रीगेटर चलानेवाले भाईयों की इस समझ को सलाम.

Sanjay Tiwari said...

और हां, आपके नये झकास सफेद ले-आऊट के लिए धन्यवाद,

Anonymous said...

एक समय था जब सब ने मिल कर काम किया. इन दिनो यह छवि खंडित हुई है, नए आये लोग नए एग्रीगेटो को आपसी सरफोटावल का परिणाम मानते है. ये दुखद क्षण है. मगर जो सहयोग अब दिखाई दे रहा है, वह काफी राहत दे रहा है. हमें और भी अदाहरण प्रस्तुत करने है. फिलहाल नारद व दुसरे सभी एग्रीगेटर संचालकों को बधाई देता हूँ.

Shastri JC Philip said...

यह एक बहुत अच्छी बात है. हरेक अग्रीगेटर अलग अलग सुविधायें देता है, अत: उन सब का एक साथ काम करना हिन्दीजगत के लिये बहुत अच्छा है.

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info

Udan Tashtari said...

एक साधुवादी पहल, बधाई.