Friday 24 August, 2007

यूँ खड़ा इंडिया गेट


यूँ खड़ा यह कब तक देखेगा दुनिया की करतूत

नेताओ का कर्तव्य का विश्वासघात,
जनता की निषिद्ध अधिकारों की मांग,


वो दिन न आएगा जब जनता करेगी अपने कर्तव्य पूरे और नेता समझेंगे जनता के अधिकार।

3 comments:

Anonymous said...

विपुल जी ,
क्या आपने इण्डिया गेट पर लिखी इबारत पढ़ीं हैं?अँग्रेजों की फौज के लिए लड़ते हुए मरने वालों के नाम पूरी बाहरी दीवाल पर खुदे हैं !
एक मिनट आपकी तरह कल्पना करें ,तब ऐसा गेट और क्या देखेगा ?

विपुल जैन said...

बिलकुल पढी है, खून तो अपनों का है। मैं तो अंग्रेज़ों का एहसानमंद हूँ उन्होंने इतना तो किया, आज हम तो शहीदों के कफन तक से कमीशन खाते हैं।

Shastri JC Philip said...

खाते है कमीशन्
आज तो शहीदों के
कफन तक से,
तभी तो किया जाता है प्रोत्साहित
लोगों को
कुर्बान होने के लिये अपने
देश के लिये.

जनता लेकिन है
मूर्ख.
फरक नही कर पाती
असली एवं नकली में,
इसी कारण.

उम्मीद है कि फटकायेंगे
चाबुक,
कम से कम थोडे से
जानकार,
जिससे जानकारी बाहर
आये कम से कम
कुछ तो.

सबसे बडा दुशमन है
गलत आचार का एवं शोषण् का,
जानकारी, विवरण,
"जानकारी का अधिकार"

-- शास्त्री जे सी फिलिप

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