पटाखे के बिना भी बन सकती है दिवाली
एक खूबसूरत झलक पुरी के तट पर, रेत से हर बात।
स्रोत - हिन्दुस्तान टाईम्स
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तस्वीरें कुछ कहती हैं, सुनने वाला चाहिए
एक खूबसूरत झलक पुरी के तट पर, रेत से हर बात।
स्रोत - हिन्दुस्तान टाईम्स
4 comments:
आप की बात से सहमत हूँ\..दिवाली बिना पटाखे भी मनाई जा सकती है....वैसे तो मैम पटाखे पसंद नही करता ...लेकिन किसी की खुशी के लिए विरोध करने मे हिचकिचाता हूँ।
दीवाली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ।
परमजीत जी आपको भी दिपावाली की हार्दिक शुभकामनाएँ
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!!
यह फोटो तो बहुत ही अच्छी लगी.
शुक्रिया!
दिपावाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
वाह, क्या गजब का चित्र ढूढ कर लाये हैं -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
इस काम के लिये मेरा और आपका योगदान कितना है?
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