Friday, 9 November 2007

पटाखे के बिना भी बन सकती है दिवाली

एक खूबसूरत झलक पुरी के तट पर, रेत से हर बात।

स्रोत - हिन्दुस्तान टाईम्स

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4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

आप की बात से सहमत हूँ\..दिवाली बिना पटाखे भी मनाई जा सकती है....वैसे तो मैम पटाखे पसंद नही करता ...लेकिन किसी की खुशी के लिए विरोध करने मे हिचकिचाता हूँ।

दीवाली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ।

विपुल जैन said...

परमजीत जी आपको भी दिपावाली की हार्दिक शुभकामनाएँ

Anonymous said...

वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!!

यह फोटो तो बहुत ही अच्छी लगी.
शुक्रिया!

दिपावाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

Shastri JC Philip said...

वाह, क्या गजब का चित्र ढूढ कर लाये हैं -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
इस काम के लिये मेरा और आपका योगदान कितना है?