Sunday, 18 November 2007

मीडिया पर प्रतिबंध क्या सच को दबाना है?

हाल में पाकिस्तान में मीडिया के कुछ चैनलों पर प्रतिबंध लगाया गया।

क्या मीडिया पर प्रतिबंध लगाना सच को दबाना है??

क्या मीडिया सिर्फ सच बोलता है, झूठ नहीं बोल सकता, झूठ का साथ नहीं दे सकता??

अगर मीडिया झूठ बोल रहा है, या झूठ का साथ दे रहा है तो वह सही है??

मेरे सवाल सिर्फ आम है, इन्हें पाकिस्तान के संदर्भ में न लेकर सामान्य स्थिति में देखें??

4 comments:

संजय बेंगाणी said...

यह मीडिया की जिम्मेदारी है की वह अपनी साख बचाये रखे, वरना ऐसे सवाल उठेंगे ही.


और जब कोई खुबसुरत कन्या अपना टीवी माँग रही हो तो उसे दे देना चाहिए :)

Jitendra Chaudhary said...

पाकिस्तान मे मुशर्रफ़ जो कर रहे है, उसे ’विनाश काले विपरीत बुद्दि’ ही कहा जाएगा। मुल्लाओं,वकीलों और राजनेताओं से तो पंगा ले ही चुके थे, अब मीडिया भी कतार मे शामिल हो गया। लेकिन जिओ टीवी और एआरवाई जल्द ही वापस आएंगे, शायद इसी हफ़्ते। दुबई वाले ज्यादा दिन इनको बन्द करके अपनी फजीहत नही करवाएंगे।

जहाँ तक मुशर्रफ़ का सवाल है, अमरीका भी इनका बोझा ज्यादा दिन नही ढोएगा, उसे तो बस परमाणु हथियारों के गलत हाथों मे जाने का अंदेशा है इसलिए इनको झेल रहा है, नही तो अब तक इनको सलटा दिया गया होता। देखो ऊंट किस करवट बैठता है।

Shastri JC Philip said...

मीडिया कई बार गलत कहता है. लेकिन इस कारण मीडिया का महत्व या उसकी अच्छाईयां/आवश्यक्ता को कम नहीं किया जा सकता.

जिस देश में मीडिया स्वतंत्र है वहा जनसाधारण की बहुत सी जरूरतों को हल करने में मीडिया एक महत्वपूर्ण रोल अदा करता है -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है.
हर महीने कम से कम एक हिन्दी पुस्तक खरीदें !
मैं और आप नहीं तो क्या विदेशी लोग हिन्दी
लेखकों को प्रोत्साहन देंगे ??

Asha Joglekar said...

सामान्य संदर्भ में मीडिया को जिम्मेदार तो होना ही पडेगा । जो बिकता है वो बेचेंगे किस्म के व्यापारी नहीं होना हे उन्हे । सच की लडाई जनता के हित में लडनी है ।