Friday 17 August, 2007

चिट्ठाजगत संकलक का चिट्ठा दरबार-ए-आम-ए-धड़ाधड़-महाराज



लेखकगण व पाठकगण,


चिट्ठाजगत संकलक - http://chitthajagat.in/ का संचालन करते हुए हमने पाया कि बहुत से बहुमूल्य सुझाव और त्रुटि जानकारी हम खो दे रहे हैं क्योंकि कोई एकत्रीकरण का माध्यम नहीं है। इसी प्रकार नई सुविधाएँ लगभग रोज जुड़ती हैं, लेकिन सुविधाएँ प्रदान करने में इतना तल्लीन रहते हैं कि उनकी सूचनी ही आप तक नहीं पहुँच पाती। अतः हमने धड़ाधड़ महाराज के दरबार ए आम का गठन किया है। पता है http://chittha.chitthajagat.in/ - यानी एक सादा चिट्ठा ही, लेकिन यहाँ पर आप dakiya डॉट peti ऍट chitthajagat डॉट in को डाक लिख के - किसी भी पते से - यहाँ सीधे अपनी शिकायत या सुविधा का अनुरोध या कुछ भी बकैती -डाल सकते हैं। डाकिये के जरिए प्रविष्टि सीधे चिट्ठे पर प्रकाशित हो जाएगी। बाद में हम प्रविष्टि का वर्गीकरण और चिप्पीबाज़ी कर देंगे - जैसे किशिकायत, सुविधानुरोध, सूचना, अप्रासंगिक(बकैती के लिए) और उपवर्गीकरण -(कुछ नहीं), चर्चारत, रद्द, सुलझ गया आदि। बकैती को हम ठंडे बस्ते मेंडाल देंगे, और उन पर टिप्पणियाँ बंद रहेंगी, बाकी प्रविष्टियों पर टिप्पणियों के जरिए चर्चा की जा सकती है।
यह तो सही है कि वास्तव में इस काम के लिए बग्ज़िला -http://bugzilla.com/ या कोई मंच - जैसे http://phpbb.com/ - बेहतर रहता लेकिन हमें लगा कि प्रयोक्ता लोगों को चिट्ठा प्रारूप की आदत है तो क्योंन यही आजमा के देखें। हमारा स्वार्थ भी था ही - मेहनत कम लगी। फिर भी सबकी राय और प्रयोग के अनुसार माध्यम बदला जा सकता है। फ़िलहाल, कुछ भी नरहने से यह दरबार-ए-आम रहना अच्छा है।
उम्मीद है कि इस दरबार-ए-आम के जरिए सभी संकलकों को प्रयोक्ताओं की समस्याओं और आशाओं के बारे में मूल्यवान जानकारी मिलेगी, और इससे सभीलाभान्वित होंगे। यह भी उम्मीद है कि आरएसएस, एटम, एक्सएमएल आदि पर अच्छी चर्चा संकलक निर्माता भी कर पाएँगे, यदि नहीं तो शायद यह ऐसे किसी मंच या डाक सूची को जन्म देगा जहाँ यह चर्चा और सहजता से हो पाए। हम मानते हैं कि एक दूसरेकी दाढ़ी में तिनके निकालना अच्छी बात है।
दरबार-ए-आम के बारे में बाकी जानकारी आपकोhttp://chittha.chitthajagat.in/ पर मिल जाएगी। यदि कुछ चीज़ बहुत तकनीकीलग रही हो तो हमें बताएँ, उसे और सहज बनाते हैं।
हिन्दी का इस्तेमाल करने वाले प्रयोक्ता - आम तौर पर हिन्दुस्तानी प्रयोक्ता भी - ज़्यादा लड़ते झगड़ते नहीं है, जो मिलता है उसमें संतोषकर लेते हैं। नतीजा - घटिया माल ही मिलता है। उम्मीद है कि परिचित चिट्ठा प्रारूप में शिकायतें लगाना सबको रास आएगा, और हमें ढेरों पत्र मिलेंगे।
हमारी कोशिश रहेगी कि सब प्रविष्टियों का विनम्रता पूर्वक जवाब दें -ज़ाहिर है आपको कोई समस्या आई, या जनहित की कोई बात लगी तभी आप लिख रहे हैं। लेकिन कभी कभार हमें आपकी बात समझने में दिक्कत हो सकती है। तो हमआपसे खुलासे के लिए सवाल भी पूछेंगे - वह भी विनम्रता पूर्वक ही। तो लगातार टिप्पणियों की ओर ताँक झाँक करते रहिएगा।
चलते चलते एक बात - हमने अपनी कड़ियों के खेत में उन सभी स्थलों का जिक्रकरने की कोशिश की है जो हिंदी के संकलकों व निर्देशिकाओं के तौर पर जाने जाते हैं। यदि कोई छूट गया हो तो कृपया बता दें, हम तुरंत शामिल कर लेंगे।

3 comments:

अभय तिवारी said...

आप लोगों की भाषा मस्त है.. बकैती जैसा शब्द यहाँ पढ़्कर बरबस इलाहाबाद याद आ गया.. तो आप में से कोई इलाहाबादी बकैत भी है?
बकिया हम को कोई शिकायत/ सुझाव/ बकैती का मूड होगा तो हम चिठिया देंगे..
मंगल हो..

mamta said...

पढ़ लिया है आगे अगर कभी कोई बात (शिक़ायत,सुचना) होगी तो जरुर आपके दरबार-ए-आम मे पेश होंगे मतलब लिखेंगे।

Udan Tashtari said...

चलो, एक जरुरी कार्य और निपटा. बढ़िया हुआ.